शहरी और अंग्रेजी समीक्षकों ने मिथ्या की बहुत तारीफ की। इसके बावजूद रजत कपूर की फिल्म के दर्शक नहीं बढ़े। मिथ्या बिल्कुल शहरी मिजाज की फिल्म है। यह हिंदी फिल्मों का अर्बन एक्सप्रेशन है। यही कारण है कि इन्हें शहरी और अंग्रेजी समीक्षकों की तारीफ मिलती है। सूक्ष्म स्तर पर यह कोशिश चल रही है कि हिंदी फिल्मों की जातीय परंपरा को न अपना कर विदेशों में प्रेरित और प्रभावित शैली अपनायी जाए। मिथ्या जैसी फिल्में ऐसी ही कोशिशों का नतीजा हैं। मिथ्या की असफलता बताती है कि दर्शक अभी ऐसी फिल्मों के लिए तैयार नहीं हैं। सुपर स्टार को मिथ्या से ज्यादा दर्शक अवश्य मिले, लेकिन उनका प्रतिशत भी उल्लेखनीय नहीं रहा। मिथ्या को दस प्रतिशत दर्शक मिले तो सुपर स्टार को बीस प्रतिशत।
मुंबई समेत देश भर में चल रही शीतलहर का असर फिल्म ट्रेड पर भी पड़ा है। लोग घरों से निकलने में सिहर उठते हैं और रजाइयों में दुबक कर घर की गर्मी में डीवीडी पर फिल्में देखना या टीवी देखना पसंद करते हैं। उन्हें सिनेमाघरों में ऐसी फिल्में भी तो नहीं मिल रही हैं कि दर्शक थोड़ा जोखिम उठाएं। बसंत पंचमी के बाद ठंड में कमी आई है। उसका फायदा इस शुक्रवार को रिलीज हो रही जोधा अकबर को मिल सकता है। यह इस साल की सबसे महंगी और दो बड़े स्टारों और एक स्टार निर्देशक की फिल्म है।
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