सामने है एक पहाड़ और उस पर चित्रित हैं 120 पक्षी.. 40 फीट से लेकर 120 फीट तक के। चकित हुए न! बात ही कुछ ऐसी है। हम बात कर रहे हैं उस अद्भुत कलाकृति की, जो कुछ ही सालों में आपके सामने होगी। कुछ-कुछ अजंता-एलोरा की गुफाओं की याद ताजा करती इन कलाकृतियों को पश्चिम बंगाल के अयोध्या पहाड़ पर एक कलाकार जीवंत कर रहा है।
कला की यह मिसाल तैयार हो रही है पश्चिम बंगाल के बलरामपुर के पास स्थित अयोध्या हिल्स पर। अपने सपनों को पत्थर पर उकेर रहे इस जुझारू कलाकार का नाम है चित्तो डे। सीआईटी रोड, कोलकाता के रहने वाले चित्तो चूंकि पहाड़ पर 120 पक्षियों की आकृतियां बना रहे हैं, इसलिए पर्वत का नाम अभी से पक्षी पहाड़ पड़ गया है। अब काम सरल तो है नहीं।
चित्तो बताते हैं कि 120 तस्वीरें बनाने में लगभग चार करोड़ रुपये लगने हैं। 600 फीट ऊंचे व 800 फीट चौड़े ग्रेनाइट के पहाड़ पर पक्षियों की आकृति तैयार करने में आठ साल और लगेंगे। लेकिन उन्हें भला पहाड़ पर आकृति बनाने की बात सूझी कैसे? चित्तो कहते हैं, अजंता, एलोरा की गुफाएं देखकर। उन पत्थरों पर खुदी कलाकृतियों को देखकर विचार आया कि क्यों न खुद भी ऐसा ही कुछ किया जाए। लेकिन काम पैसा मांग रहा था, तो चित्तो चले गए केंद्र सरकार के पास। पहले तो केंद्र ने मना कर दिया, मगर जब उन्होंने पहाड़ पर पेंट से डिजाइन तैयार करके दिखाई तो अधिकारी अचंभित रह गए और उन्हें स्वीकृति मिल गई।
चित्तो एक साल से पहाड़ पर पक्षी की डिजाइन बना रहे हैं। अब तक लगभग 250 लीटर पेंट लग चुका है। पहाड़ पर सबसे छोटा पक्षी 40 फीट व सबसे बड़ा 120 फीट का बनेगा और कुल 120 आकृतियां बननी हैं। चित्तो के साथ 30 मजदूर भी लगे हैं। काम मुश्किल है। रस्सी के सहारे पहाड़ पर लटक कर डिजाइन बनानी पड़ती है। चित्तो ने इसके लिए स्पेशल ट्रेनिंग ली। कहते हैं कि एक भी पत्थर में दरार आ गई तो पूरी योजना पर पानी फिर जाएगा।
उनके अनुसार पत्थरों पर आकृतियां बनाने की कला हजारों वर्ष पुरानी है। अजंता-एलोरा, उदयगिरि, महाबलीपुरम व एलीफेंटा गुफाओं की कलाकृतियां भी ऐसी ही हैं। वह कहते हैं कि पहाड़ तैयार हो जायेगा तो पूरे देश में दर्शनीय स्थल होगा और चार किलोमीटर दूर से दिखेगा। चित्तो दा की कल्पना साकार होने में अभी समय है, लेकिन जितना काम हुआ है, वही देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबा रहे हैं।
कला की यह मिसाल तैयार हो रही है पश्चिम बंगाल के बलरामपुर के पास स्थित अयोध्या हिल्स पर। अपने सपनों को पत्थर पर उकेर रहे इस जुझारू कलाकार का नाम है चित्तो डे। सीआईटी रोड, कोलकाता के रहने वाले चित्तो चूंकि पहाड़ पर 120 पक्षियों की आकृतियां बना रहे हैं, इसलिए पर्वत का नाम अभी से पक्षी पहाड़ पड़ गया है। अब काम सरल तो है नहीं।
चित्तो बताते हैं कि 120 तस्वीरें बनाने में लगभग चार करोड़ रुपये लगने हैं। 600 फीट ऊंचे व 800 फीट चौड़े ग्रेनाइट के पहाड़ पर पक्षियों की आकृति तैयार करने में आठ साल और लगेंगे। लेकिन उन्हें भला पहाड़ पर आकृति बनाने की बात सूझी कैसे? चित्तो कहते हैं, अजंता, एलोरा की गुफाएं देखकर। उन पत्थरों पर खुदी कलाकृतियों को देखकर विचार आया कि क्यों न खुद भी ऐसा ही कुछ किया जाए। लेकिन काम पैसा मांग रहा था, तो चित्तो चले गए केंद्र सरकार के पास। पहले तो केंद्र ने मना कर दिया, मगर जब उन्होंने पहाड़ पर पेंट से डिजाइन तैयार करके दिखाई तो अधिकारी अचंभित रह गए और उन्हें स्वीकृति मिल गई।
चित्तो एक साल से पहाड़ पर पक्षी की डिजाइन बना रहे हैं। अब तक लगभग 250 लीटर पेंट लग चुका है। पहाड़ पर सबसे छोटा पक्षी 40 फीट व सबसे बड़ा 120 फीट का बनेगा और कुल 120 आकृतियां बननी हैं। चित्तो के साथ 30 मजदूर भी लगे हैं। काम मुश्किल है। रस्सी के सहारे पहाड़ पर लटक कर डिजाइन बनानी पड़ती है। चित्तो ने इसके लिए स्पेशल ट्रेनिंग ली। कहते हैं कि एक भी पत्थर में दरार आ गई तो पूरी योजना पर पानी फिर जाएगा।
उनके अनुसार पत्थरों पर आकृतियां बनाने की कला हजारों वर्ष पुरानी है। अजंता-एलोरा, उदयगिरि, महाबलीपुरम व एलीफेंटा गुफाओं की कलाकृतियां भी ऐसी ही हैं। वह कहते हैं कि पहाड़ तैयार हो जायेगा तो पूरे देश में दर्शनीय स्थल होगा और चार किलोमीटर दूर से दिखेगा। चित्तो दा की कल्पना साकार होने में अभी समय है, लेकिन जितना काम हुआ है, वही देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबा रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें