अन्ना हजारे, एक नाम जिसमें लोग मसीहा की छवि देख रहे हैं। अपनी अवस्था के चौथेपन में पहुंच चुका यह शख्स युवाओं का भी आदर्श बन चुका है। सास-बहू धारावाहिक देखने वाली महिलाएं आज अन्ना और उनके अनशन से जुड़ी जानकारियों पर नजर रख रही हैं। ऐसे भी लोग हैं जो लोकपाल बिल और उसकी ताकतों से वाकिफ नहीं हैं, लेकिन वे इतना तो जानते ही है कि आज का यह गांधी उनकी बेहतरी के लिए कुछ अच्छा किए जाने की मांग कर रहा है।
मुहिम: क्या बच्चे, छात्र, नौकरीपेशा, युवा, अधेड़, सेवानिवृत्त और क्या बुजुर्ग, समाज का हर तबका और वर्ग अन्ना रूपी उम्मीद की इस आंधी में उड़ चला है। वहीं आजादी की दूसरी लड़ाई बताए जा रहे इस आंदोलन ने सरकार और प्रशासन की नींद उड़ा रखी है। शायद यही है सार्थक और सकारात्मक अनशन की ताकत।
मर्म: हर कोई अन्ना की इस सम्मोहनी ताकत से बरबस ही खिंचा हुआ महसूस कर रहा है। जनमानस को खींचने वाली अनशन की यह अदृश्य ताकत आज के परिवेश में बड़ा मुद्दा है।
मुहिम: क्या बच्चे, छात्र, नौकरीपेशा, युवा, अधेड़, सेवानिवृत्त और क्या बुजुर्ग, समाज का हर तबका और वर्ग अन्ना रूपी उम्मीद की इस आंधी में उड़ चला है। वहीं आजादी की दूसरी लड़ाई बताए जा रहे इस आंदोलन ने सरकार और प्रशासन की नींद उड़ा रखी है। शायद यही है सार्थक और सकारात्मक अनशन की ताकत।
मर्म: हर कोई अन्ना की इस सम्मोहनी ताकत से बरबस ही खिंचा हुआ महसूस कर रहा है। जनमानस को खींचने वाली अनशन की यह अदृश्य ताकत आज के परिवेश में बड़ा मुद्दा है।
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