पुरुलिया [पश्चिम बंगाल], जिले के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत लोहारशोल ग्राम की बस्ती के प्राय: सभी परिवार वंश परंपरा में सांप का खेल दिखाकर अपने परिवार की जीविका चलाते हैं। इसके अलावा इस गांव की एक अलग पहचान माझी वेदा के कारण भी बनी है। माझी पिछले 25 साल से जिंदा सांप को अपने मुंह के भीतर डालकर काफी समय रखने के बाद पुन: उसे जिंदा बाहर निकालता है। इसके अलावा वह जिंदा सांप को खा भी जाता है।
50 वर्षीय माझी ने जिंदा सांप खाने तथा सांप का खेल दिखाने की कला अपने पिता से सीखी है। उसने बताया कि पहले उसे काफी डर लगता था। परंतु अब वह किसी भी सांप को आसानी से पकड़कर अपने मुंह में डालकर खा जाता है। मां मनसा पूजा के दौरान यह खतरनाक खेल माझी लोगों के समक्ष करता है। जिंदा सांप खाने के बाद कैसा लगता है के सवाल के जवाब में माझी ने कहा कि पेट के अंदर जिंदा सांप प्रवेश करने पर काफी कष्ट होता है तथा यह शरीर के लिए भी हानिकारक है। परंतु जीविका के लिए सबकुछ करना पड़ता है।
50 वर्षीय माझी ने जिंदा सांप खाने तथा सांप का खेल दिखाने की कला अपने पिता से सीखी है। उसने बताया कि पहले उसे काफी डर लगता था। परंतु अब वह किसी भी सांप को आसानी से पकड़कर अपने मुंह में डालकर खा जाता है। मां मनसा पूजा के दौरान यह खतरनाक खेल माझी लोगों के समक्ष करता है। जिंदा सांप खाने के बाद कैसा लगता है के सवाल के जवाब में माझी ने कहा कि पेट के अंदर जिंदा सांप प्रवेश करने पर काफी कष्ट होता है तथा यह शरीर के लिए भी हानिकारक है। परंतु जीविका के लिए सबकुछ करना पड़ता है।
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