पुंछ [दर्शन भारती]। जिले में शिक्षा विभाग कितना चौकस व ईमानदारी से कार्य कर रहा है इसका अंदाजा तो हर वर्ष घोषित वार्षिक परीक्षा परिणामों में झलक ही जाता है परंतु इस बार तो हद हो गई जब विद्यार्थियों को मजबूर होकर शिक्षकों से उत्तरपुस्तिकाओं में मानवता के आधार पर अंक देने की मांग करनी पड़ी।
विद्यार्थियों ने पुंछ जिले में शिक्षा के ढांचे की तस्वीर जिले में ही नहीं, प्रदेश स्तर तक पहुंचाने के लिए एक नई योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत आठवीं से 12वीं तक के विद्यार्थी अपनी उत्तर पुस्तिकाओं में स्कूलों की माली हालत बयान कर रहे हैं।
सुरनकोट जोन में आठवीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का आकलन कर रहे कुछ शिक्षकों ने बताया कि अधिकतर स्कूलों में जिस विषय के शिक्षक नहीं हैं, उन विषयों की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं में विद्यार्थियों ने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि 'न तो गणित के शिक्षक थे और न ही विज्ञान के तो पढ़ाई कैसे होती?..मानवता के आधार पर कृपया अंक दें'। 10वीं व 12वीं कक्षाओं की परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों ने कुछ ऐसा ही लिखा है।
विद्यार्थियों द्वारा लिखी यह दास्तान शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है। विभाग की गलत तबादला नीति के कारण जिले में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जहां पर विज्ञान, गणित, अंग्रेजी आदि विषयों के शिक्षक न होने के कारण विद्यार्थी पूरे वर्ष इन विषयों की पढ़ाई नहीं कर पाते। ऐसे में विद्यार्थी करें भी तो क्या? आखिर जिन विषयों को उन्हें पढ़ाया ही नहीं गया, उन विषयों के प्रश्नों का जबाव वे कैसे दें?
ऐसे में मानवता के आधार पर अंक मांगने के सिवाय उनके पास कोई चारा भी नहीं है। विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षा विभाग की ढीली नीति के कारण उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक सुनील शर्मा का कहना है कि जिले में मुख्य शिक्षा अधिकारी से जोनल शिक्षा अधिकारी भ्रष्ट हैं। वे स्कूलों की जरूरत नहीं बल्कि अपनी जरूरत के अनुसार शिक्षकों के तबादले करते हैं, जिसका नुकसान विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूलों में जरूरत के आधार पर शिक्षकों को तैनात किया जाए।
मुख्य शिक्षा अधिकारी श्याम सुंदर दत्ता भी स्वीकारते हैं कि पहले पुंछ में यह समस्या थी परंतु नए शिक्षकों को तैनात कर अधिकतर स्कूलों की इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया गया है। फिर भी अगर किसी स्कूल में इस प्रकार की समस्या है तो उसे जल्द दूर किया जाएगा।
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